Saturday, January 1, 2022

आत्मा के सपने

तुम्हारी देह में

मैं नहीं खोजता तुम्हारी आत्मा 

जिससे छू सकूँ । 


आत्मा देह का सपना है। 

टूटने दो । 

तुम्हारे सीने पर जो दो आधे लिखे अक्षर हैं 

उन्हीं से रच कर एक अज्ञात लिपि 

मैं 

अपनी देह को देना चाहता हूँ 

सुधि के कुछ अधूरे खण्ड काव्य ।



वस्तुत: हमारी देहें 

पुतला है ! 

वे जीवित होना चाहती है ! 


देखो अपने होंठों को !

किसी जंगली फूल के लाल पत्ते ! 

सुनों, मेरे तुम , कहता हूँ तुमसे ! 

मध्दम स्पर्श की रोशनी में 

वे विलुप्त हो जाएँगें ! 

वे चलें जाएँगे खोजनें 

आत्मा के सपने ,

जीवित होने भ्रम !

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