Saturday, December 7, 2013

कटोरा और पानी



हमारी संस्कृति , हमारी परंपराएं एक कटोरे जैसी हैं जिसमें हमारी संवेदना का द्रव कटोरे की भाषा में अपना आकार धरता है ।
लघु आयतन द्रव के लिए कटॊरा एक सम्बल है , एक रूप है , एक गति है किन्तु निरन्तर प्रगाढ़ व विस्तृत होते द्रव आयतन के लिए यह एक बन्धन है

1 comment:

  1. भावनाओं को कटोरे के आयतन में मत बांधिए बंधु

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