एक प्यार
धीरे धीरे होता है ।
एकदम धीरे धीरे ।
जैसे रात भिगोये गये चने से
धीरे धीरे निकलता है
चने में मौजूद पूरे प्रोटीन से बना
एक टुइंया-सा अंकुर !
यह प्यार
शुरु शुरु में प्यार नहीं होता
लेकिन परत दर परत
प्यार बनता जाता है ।
आप पा सकते हैं
जगजीत सिंह और गुलाम अली की गजलॊं में
इस तरह के प्यार के
तमाम शिलालेख !
एक प्यार
फटाफट होता है ।
एकदम फटाफट ।
जैसे बच्चों के खेलने वाले
बड़े गुब्बारे में
किसी ने चुभो दी हो
नुकीली सुई ।
यह प्यार
शुरुआत क्या
शुरुआत के पहले से ही
प्यार ही होता है !
इस प्यार में सब चीज –
आंखों के खुलने से लेकर
आंखॊं के बन्द होने तक
सांसॊं के अन्दर लेने से लेकर
सांसों के बाहर जाने तक,
सब!
बस प्यार ही प्यार होता है ।
अब संक्षेप में कहा जाय तो
दोनों प्यारों के
अपने अपने धन और ऋण हैं !
(हांलाकि प्यार के संविधान में तो
धन और ॠण सोचना सख्त वर्जित है,
तो प्रेमी जन माफ करें ! ! ! )
एक प्यार हेलीकाप्टर तो
दूसरा मिग – २१ है !
कहने का मतलब की
इसकी कुछ बातें उसमें
और उसकी कुछ बातें इसमें
ले ली जाय
तो
चांद तक पहुचा जा सकता है !
(अन्यथा तो कोई चान्स नहीं)
धीरे धीरे होता है ।
एकदम धीरे धीरे ।
जैसे रात भिगोये गये चने से
धीरे धीरे निकलता है
चने में मौजूद पूरे प्रोटीन से बना
एक टुइंया-सा अंकुर !
यह प्यार
शुरु शुरु में प्यार नहीं होता
लेकिन परत दर परत
प्यार बनता जाता है ।
आप पा सकते हैं
जगजीत सिंह और गुलाम अली की गजलॊं में
इस तरह के प्यार के
तमाम शिलालेख !
एक प्यार
फटाफट होता है ।
एकदम फटाफट ।
जैसे बच्चों के खेलने वाले
बड़े गुब्बारे में
किसी ने चुभो दी हो
नुकीली सुई ।
यह प्यार
शुरुआत क्या
शुरुआत के पहले से ही
प्यार ही होता है !
इस प्यार में सब चीज –
आंखों के खुलने से लेकर
आंखॊं के बन्द होने तक
सांसॊं के अन्दर लेने से लेकर
सांसों के बाहर जाने तक,
सब!
बस प्यार ही प्यार होता है ।
अब संक्षेप में कहा जाय तो
दोनों प्यारों के
अपने अपने धन और ऋण हैं !
(हांलाकि प्यार के संविधान में तो
धन और ॠण सोचना सख्त वर्जित है,
तो प्रेमी जन माफ करें ! ! ! )
एक प्यार हेलीकाप्टर तो
दूसरा मिग – २१ है !
कहने का मतलब की
इसकी कुछ बातें उसमें
और उसकी कुछ बातें इसमें
ले ली जाय
तो
चांद तक पहुचा जा सकता है !
(अन्यथा तो कोई चान्स नहीं)
अद्भुत ,इसी तकनीक जो आपने बताया अरे वही मिक्सिंग की वही तो समागम कहलाती है न ?
ReplyDeleteतकनीक तो अच्छी बताइ गुरु लेकीन क्या बताये सब लोग "मतलब" समझ नही पाते है। सब एक ही ओर आस लगा के बैठे है। परिभाषा के लिये धन्यवाद।
ReplyDeleteप्यार से प्यार तक पहुँचने का रास्ता ... भाई बहुत ही अध्बुध लिखा है ... ग़ज़ब का दृष्टिकोण है ...
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