Friday, November 27, 2009

शब्द यदि झुक गए !


शब्द जब
बध गये
छन्द में तो
“घनत्व” कैसे
करेंगे वहन ?


शब्द जब
ढल गये
छन्द में तो
झेलेगे कैसे
अपने अर्थों की
गुह्य अंतःक्रियायें ?

शब्द जब
झुक गये
छन्द में तो
सहेगें कैसे
वाक्य विन्यास की
कोठर--पैठी
नयी विकसती
अर्थ भंगिमायें ?

तब की बात
कुछ और थी ,
अब मामला
थोड़ा अलग है।
आनाजाना ठीक है
सांसो का, लेकिन
बीच बीच में
हिचकी हिचकियां
कौन कहेगा ?
नयी अराजकताएं
कौन धरेगा ?


शब्द यदि बध गये …..
शब्द यदि ढल गये …….
शब्द यदि झुक गये…….

13 comments:

  1. तब की बात
    कुछ और थी ,
    अब मामला
    थोड़ा अलग है।
    आनाजाना ठीक है
    सांसो का, लेकिन
    बीच बीच में
    हिचकी हिचकियां
    कौन कहेगा ?
    नयी अराजकताएं
    कौन धरेगा ?

    Bahut khoob !

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  2. अमित हों शब्द तभी बात बने !

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  3. क्या क्या क़ोट करूँ - पूरी कविता ही?
    अद्भुत बुनावट।

    @सांसो का, लेकिन
    बीच बीच में
    हिचकी हिचकियां
    कौन कहेगा ?
    नयी अराजकताएं
    कौन धरेगा ?


    शब्द यदि बध गये …..
    शब्द यदि ढल गये …….
    शब्द यदि झुक गये……

    ..गहरी बात। मत बँधो बाँधो - मुक्त होकर लिखो, खूब लिखो। ऐसे ही अद्भुत लिखो।

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  4. आनाजाना ठीक है
    सांसो का, लेकिन
    बीच बीच में
    हिचकी हिचकियां
    कौन कहेगा ?
    नयी अराजकताएं
    कौन धरेगा ?
    बिलकुल अलग सा प्रयोग है. गहन रचना के लिये साधुवाद

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  5. सच मे पूरी कविता ही कोट करने लायक है अद्भुत सुन्दर लाजवाब और शब्द नहीं मिल रहे शुभकामनायें

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  6. आर्जव मेरे भाई..!! यही तो सबसे कहना चाहता हूँ मै...ठीक यही....बिलकुल यही...!
    गदगद हूँ इस लेखन से सच्ची में..!

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  7. यह चित्र पेंट पर किसकी कारिस्तानी से उपजा है ?

    किसी तारसप्तक की रचना-सी लग रही है कविता । कवि हो गये दुरुस्त । जो कर न पाओ उसके लिये सुनहरे तर्क हैं तुम्हारे पास !
    आकाश किसी सीमा में है प्यारे ? नहीं न ! पर उसका छन्द पढ़ा है ?
    और अंतर्मन ? उसका छान्दिक संगीत सुना है न ! तुमने तो खूब ही । उसके विस्तार को छुआ भी है तुमने ।

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  8. बहुत ही गहरे भाव पूर्ण रचना ......अच्छी लगी

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  9. SHABD CHTR KI TARAH KHIL RAHI HAI AAPKI KAVITA ... SUNDAR PRASTUTI HAI ...

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  10. बहुत खूब
    शब्दों की व्यापकता समझाती कविता।

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  11. waah...........adbhut lekhan..........bina kisi bandish ke likhte raho .........bhavon ko shabd dete raho.

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