Saturday, December 4, 2010

बनारस के ब्लागर्स ...

अरविन्द जी के घर पर आज शाम को बनारस में एक छोटी सी ब्लागर्स मीट . फॊटो में एम वर्मा , आन्टी जी,  उत्तमा दीक्षित , मैं , देवेन्द्र पाण्डेय , अरविन्द मिश्र , बनारसी जी . (बायें से दायें) 









आओ ! बैठो !
चलो , कुछ बातें करें !
बोले , बतियायें !
कुछ सुनें , सुनायें !
कथायें तुम्हारी
कुछ व्यथायें हमारी
गीत कुछ अनकहे
कुछ सपने पुराने !

बैठो ,आराम से पैर करके ऊपर !
कुछ सोचते हुये चाय पीते रहो .
दिल में तुम्हारे इक किताब छोड़कर
कई शब्द  जो बहुत पहले ही तुमसे
रूठ कर झर गये अकेले आंख की कोर से
बुलाओ उन्हें मनाओ उन्हें
हमने मिलकर बनाया है इक छन्द प्यार का ,
इसी में पिरोऒ उन्हें , सजाओ उन्हें !


16 comments:

  1. arre bau sahab hamein kahe na batao. hamahu to banaras se hain bhaiya. ka godaulia banaras ke bahar hai?

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  2. जितनी सुंदर फोटो खींची, उतनी प्यारी बातें लिख दी...

    ..कई शब्द जो बहुत पहले ही तुमसे
    रूठ कर झर गये अकेले आंख की कोर से
    बुलाओ उन्हें मनाओ उन्हें
    हमने मिलकर बनाया है इक छन्द प्यार का ,
    इसी में पिरोऒ उन्हें , सजाओ उन्हें !..
    ..बहुत खूब।

    मासूम भाई, जो उस दिन बनारस में थे उन्हें आनन फानन..। गोदौलिया बनारस में है लेकिन गोदौलिया में आपके उपलब्ध होने की जानकारी नहीं थी। आप भी होते तो वाह!आनंद दुगुना हो जाता।

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  3. बेहतरीन अंदाज है आर्जव जी आपका ॥
    बहुत अच्छा लगा आप सभी से मिलकर
    मैं तो अपना अनुभव दिल्ली पहुंचकर लिखूंगा, मेरे कैमरे में भी तो कैद हैं आप सभी
    आप सभी का आभार

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  4. मासूम जी भी होते तो ....

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  5. ब्लोगर्स का मिलना मिलाना यूँ ही होता रहे ..

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  6. रूठा था कि लिखना बन्द ही कर दिए हो लेकिन दोस्त! इन पंक्तियों ने चुप न रहने दिया -


    दिल में तुम्हारे इक किताब छोड़कर
    कई शब्द जो बहुत पहले ही तुमसे
    रूठ कर झर गये अकेले आंख की कोर से
    बुलाओ उन्हें मनाओ उन्हें
    हमने मिलकर बनाया है इक छन्द प्यार का ,
    इसी में पिरोऒ उन्हें , सजाओ उन्हें !

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  7. वाह इतनी सारी चीज़ें खाने की :)ब्लोगर मिलन होता रहे.

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  8. मैंने चेताया था आर्जव की फोटो तभी लो जब कुछ लिखो भी -अब शुक्रिया ,एक अच्छे बच्चे की तरह बात मान ली आपने !
    मासूम भाई छूट गए ,मुझे क्या मालूम कि हजरत यहीं गोदौलिया में रहते हैं -हम लोग तो टार्च जला जलाकर ढूंढते रहे बनारसी ब्लॉगर को ....
    आप सभी आये अच्छा लगा ...

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  9. कविता बहुत खूबसूरत है -एक बार और आभार

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  10. बहुत खूब!फ़ोटो और कविता दोनों के लिये।

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  11. sabhi banarsi bloggers ko hardik badhai.
    aap ka prayas sunder hai .
    kavita aur photo sunder hai .
    banaras mai meet aur hamco khabar nahi.

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  12. अरे भाई २५ साल बनारस मैं रहे, नेता गिरी किये बनारस विश्वविधालय मैं, बहु जी और लोकपति जी का समर्थन मैं, चाय ठंडा, भंग सब उडाई और चले आये बहुत दूर मुंबई. उस समय गए रहे गोदौलिया बनारस चाचा के पास.
    पता होता तो मिल लेते.आज भी बनारस बहुत याद आता है.

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  13. लजवाब चित्र और आपका कहने का अंदाज ... गज़ब है अभिषेक जी ....

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  14. kavita padhkar lga ki bahut fursat me rahte hain aap......pair upar karke aaraam se chaay.... kya baat hai

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