अरविन्द जी के घर पर आज शाम को बनारस में एक छोटी सी ब्लागर्स मीट . फॊटो में एम वर्मा , आन्टी जी, उत्तमा दीक्षित , मैं , देवेन्द्र पाण्डेय , अरविन्द मिश्र , बनारसी जी . (बायें से दायें)
आओ ! बैठो !
चलो , कुछ बातें करें !
बोले , बतियायें !
कुछ सुनें , सुनायें !
कथायें तुम्हारी
कुछ व्यथायें हमारी
गीत कुछ अनकहे
कुछ सपने पुराने !
बैठो ,आराम से पैर करके ऊपर !
कुछ सोचते हुये चाय पीते रहो .
दिल में तुम्हारे इक किताब छोड़कर
कई शब्द जो बहुत पहले ही तुमसे
रूठ कर झर गये अकेले आंख की कोर से
बुलाओ उन्हें मनाओ उन्हें
हमने मिलकर बनाया है इक छन्द प्यार का ,
इसी में पिरोऒ उन्हें , सजाओ उन्हें !
arre bau sahab hamein kahe na batao. hamahu to banaras se hain bhaiya. ka godaulia banaras ke bahar hai?
ReplyDeleteजितनी सुंदर फोटो खींची, उतनी प्यारी बातें लिख दी...
ReplyDelete..कई शब्द जो बहुत पहले ही तुमसे
रूठ कर झर गये अकेले आंख की कोर से
बुलाओ उन्हें मनाओ उन्हें
हमने मिलकर बनाया है इक छन्द प्यार का ,
इसी में पिरोऒ उन्हें , सजाओ उन्हें !..
..बहुत खूब।
मासूम भाई, जो उस दिन बनारस में थे उन्हें आनन फानन..। गोदौलिया बनारस में है लेकिन गोदौलिया में आपके उपलब्ध होने की जानकारी नहीं थी। आप भी होते तो वाह!आनंद दुगुना हो जाता।
badhiya hai ji
ReplyDeleteबढिया !!
ReplyDeleteबेहतरीन अंदाज है आर्जव जी आपका ॥
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा आप सभी से मिलकर
मैं तो अपना अनुभव दिल्ली पहुंचकर लिखूंगा, मेरे कैमरे में भी तो कैद हैं आप सभी
आप सभी का आभार
मासूम जी भी होते तो ....
ReplyDeleteब्लोगर्स का मिलना मिलाना यूँ ही होता रहे ..
ReplyDeleteरूठा था कि लिखना बन्द ही कर दिए हो लेकिन दोस्त! इन पंक्तियों ने चुप न रहने दिया -
ReplyDeleteदिल में तुम्हारे इक किताब छोड़कर
कई शब्द जो बहुत पहले ही तुमसे
रूठ कर झर गये अकेले आंख की कोर से
बुलाओ उन्हें मनाओ उन्हें
हमने मिलकर बनाया है इक छन्द प्यार का ,
इसी में पिरोऒ उन्हें , सजाओ उन्हें !
वाह इतनी सारी चीज़ें खाने की :)ब्लोगर मिलन होता रहे.
ReplyDeleteमैंने चेताया था आर्जव की फोटो तभी लो जब कुछ लिखो भी -अब शुक्रिया ,एक अच्छे बच्चे की तरह बात मान ली आपने !
ReplyDeleteमासूम भाई छूट गए ,मुझे क्या मालूम कि हजरत यहीं गोदौलिया में रहते हैं -हम लोग तो टार्च जला जलाकर ढूंढते रहे बनारसी ब्लॉगर को ....
आप सभी आये अच्छा लगा ...
कविता बहुत खूबसूरत है -एक बार और आभार
ReplyDeleteबहुत खूब!फ़ोटो और कविता दोनों के लिये।
ReplyDeletesabhi banarsi bloggers ko hardik badhai.
ReplyDeleteaap ka prayas sunder hai .
kavita aur photo sunder hai .
banaras mai meet aur hamco khabar nahi.
अरे भाई २५ साल बनारस मैं रहे, नेता गिरी किये बनारस विश्वविधालय मैं, बहु जी और लोकपति जी का समर्थन मैं, चाय ठंडा, भंग सब उडाई और चले आये बहुत दूर मुंबई. उस समय गए रहे गोदौलिया बनारस चाचा के पास.
ReplyDeleteपता होता तो मिल लेते.आज भी बनारस बहुत याद आता है.
लजवाब चित्र और आपका कहने का अंदाज ... गज़ब है अभिषेक जी ....
ReplyDeletekavita padhkar lga ki bahut fursat me rahte hain aap......pair upar karke aaraam se chaay.... kya baat hai
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