शब्द जब
बध गये
छन्द में तो
“घनत्व” कैसे
करेंगे वहन ?
शब्द जब
ढल गये
छन्द में तो
झेलेगे कैसे
अपने अर्थों की
गुह्य अंतःक्रियायें ?
शब्द जब
झुक गये
छन्द में तो
सहेगें कैसे
वाक्य विन्यास की
कोठर--पैठी
नयी विकसती
अर्थ भंगिमायें ?
तब की बात
कुछ और थी ,
अब मामला
थोड़ा अलग है।
आनाजाना ठीक है
सांसो का, लेकिन
बीच बीच में
हिचकी हिचकियां
कौन कहेगा ?
नयी अराजकताएं
कौन धरेगा ?
शब्द यदि बध गये …..
शब्द यदि ढल गये …….
शब्द यदि झुक गये…….
बध गये
छन्द में तो
“घनत्व” कैसे
करेंगे वहन ?
शब्द जब
ढल गये
छन्द में तो
झेलेगे कैसे
अपने अर्थों की
गुह्य अंतःक्रियायें ?
शब्द जब
झुक गये
छन्द में तो
सहेगें कैसे
वाक्य विन्यास की
कोठर--पैठी
नयी विकसती
अर्थ भंगिमायें ?
तब की बात
कुछ और थी ,
अब मामला
थोड़ा अलग है।
आनाजाना ठीक है
सांसो का, लेकिन
बीच बीच में
हिचकी हिचकियां
कौन कहेगा ?
नयी अराजकताएं
कौन धरेगा ?
शब्द यदि बध गये …..
शब्द यदि ढल गये …….
शब्द यदि झुक गये…….
तब की बात
ReplyDeleteकुछ और थी ,
अब मामला
थोड़ा अलग है।
आनाजाना ठीक है
सांसो का, लेकिन
बीच बीच में
हिचकी हिचकियां
कौन कहेगा ?
नयी अराजकताएं
कौन धरेगा ?
Bahut khoob !
अमित हों शब्द तभी बात बने !
ReplyDeleteक्या क्या क़ोट करूँ - पूरी कविता ही?
ReplyDeleteअद्भुत बुनावट।
@सांसो का, लेकिन
बीच बीच में
हिचकी हिचकियां
कौन कहेगा ?
नयी अराजकताएं
कौन धरेगा ?
शब्द यदि बध गये …..
शब्द यदि ढल गये …….
शब्द यदि झुक गये……
..गहरी बात। मत बँधो बाँधो - मुक्त होकर लिखो, खूब लिखो। ऐसे ही अद्भुत लिखो।
आनाजाना ठीक है
ReplyDeleteसांसो का, लेकिन
बीच बीच में
हिचकी हिचकियां
कौन कहेगा ?
नयी अराजकताएं
कौन धरेगा ?
बिलकुल अलग सा प्रयोग है. गहन रचना के लिये साधुवाद
वाह क्या बात है !!
ReplyDeleteसच मे पूरी कविता ही कोट करने लायक है अद्भुत सुन्दर लाजवाब और शब्द नहीं मिल रहे शुभकामनायें
ReplyDeleteआर्जव मेरे भाई..!! यही तो सबसे कहना चाहता हूँ मै...ठीक यही....बिलकुल यही...!
ReplyDeleteगदगद हूँ इस लेखन से सच्ची में..!
यह चित्र पेंट पर किसकी कारिस्तानी से उपजा है ?
ReplyDeleteकिसी तारसप्तक की रचना-सी लग रही है कविता । कवि हो गये दुरुस्त । जो कर न पाओ उसके लिये सुनहरे तर्क हैं तुम्हारे पास !
आकाश किसी सीमा में है प्यारे ? नहीं न ! पर उसका छन्द पढ़ा है ?
और अंतर्मन ? उसका छान्दिक संगीत सुना है न ! तुमने तो खूब ही । उसके विस्तार को छुआ भी है तुमने ।
बहुत ही गहरे भाव पूर्ण रचना ......अच्छी लगी
ReplyDeleteSHABD CHTR KI TARAH KHIL RAHI HAI AAPKI KAVITA ... SUNDAR PRASTUTI HAI ...
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteशब्दों की व्यापकता समझाती कविता।
behtrin rachna
ReplyDeletebahut -2 abhar
waah...........adbhut lekhan..........bina kisi bandish ke likhte raho .........bhavon ko shabd dete raho.
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