चलती रहती है
और चलती रहती है !
क्योंकि इस दुनियां में
बहुत से अच्छे साफ दिल लोगों ने
बड़े मन से खूब चभककर
जिससे अच्छावाला प्यार किया
उसे ब्याह न सके !
तरह तरह की बातें सोच
चुप रहे
फिर चुप ही रह गये
कुछ कह न सके !
फिर ?
फिर क्या? ???
लुट गये
पिट गये
कुच गये
दिल दिमाग सब
पिचुक गये
सिद्धान्त सब झर गये
बदल गयी बोली
फिर ?
फिर क्या???
ढल गये दुनियादारी में
मानने लगे पप्पा का हर कहा
चुपचाप कर ली नौकरी
उहां वाले मौसा के मामी
के फलनवां दमाद की
सुघ्घर सी बिटिया के
जीवन में कर गये अजोर !
फिर ?
फिर क्या???
कविता खतम ! ! !
आ रहा है याद कुछ पुराना ???
छोड़िये हटाईये ……….
जाइये मूं धोकर आईये !
यह दुनिया चलती रहती है !
चलती रहती है और चलती रहती है...........
ashcharya hai koi comment nhi .!! sb begairat ho gye hain kya???? post comment...turanntey...post!!
ReplyDeleteकमेंट जाय भाड़ में। तुम लिखो..बिलकुल ऐसे ही...बेलौस..!बेखौफ..! मस्त कर दो तबियत सभी की। क्या पुरनिया!क्या नया! सभी रंग जांय एक रंग में।
ReplyDelete....बहुत बधाई।
यों कथा कहानी उपन्यास में कुछ भी हो....
ReplyDeleteLovely! the very conversational style of your presentation touched me! A very nice technique of tickling and making one remember his/her past, albeit i got the glimpse of my future. keep it up.............your such dare is your uniqueness!
ReplyDeleteबहुत खूब ... क्या बात कही है ... सच में दुनिया चलती रहती है ... किसी को कुछ फर्क नहीं पढता ... और क्या और क्या ... ये भी सभी मजा लेने की लिए कहते हैं ...
ReplyDeleteआर्जव भाई, सचमुच दुनिया तो चलती ही रहती है, पर इसी बहाने आपकी इतनी सुंदर कविता भी पढने को मिल जाती है, शुक्रिया।
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ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
सच में दुनिया चलती रहती है...... ....सुंदर पंक्तियाँ....
ReplyDeleteअरे साहब दुनिया कहाँ चलती है.....चलते तो हम रहते हैं.....और दुनिया खुद को credit देती है की वो चल रही है......बढ़िया लेखन...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...दुनिया इसी तरह चलती रहती है...बहुत सुन्दर भाव सम्प्रेषण..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने .. आपकी यह सुन्दर रचना, कशिस , भावों से भरी कविता आज मैंने चर्चामंच पर आपका ब्लॉग और यह पोस्ट रखी है.. धन्यवाद
ReplyDeletehttp://charchamanch.uchcharan.com/2011/01/blog-post_21.html
सही है
ReplyDeleteउसे ब्याह न सके ! बहुत सुंदर चोट कर गये भाई ! टीस उठाती है कविता बधाई
ReplyDeleteदुनिया शायद यूँ ही चल रही है .. चलती रहती है
ReplyDeleteजिंदगी के जिन पन्नों में दर्ज होता है यह सब, अब धूमिल पड़ गया है, पढ़ाई भी मुश्किल से आता है.
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