सबसे पहले देह में
कहाँ से शुरू होती होगी मौत ?
तमाम कोलाहलों के बाद
गिरी स्याही सी फैलती होगी
देह में
सपने कहाँ रखती होगी नींद?
जैसे मौत रख लेती हैं हमारी आँख
चुप हो जाने के बाद
कानों को कैसे लगते होंगे शब्द
हवा की सरसराहट
धूप की उजास
फूलों के रंग
स्मृतियों की अटकनें
किसे दे आती होगी मौत
देह के धुएँ में
मौत की आग
No comments:
Post a Comment