Monday, March 11, 2013

सोच (1)

समस्या तब शुरू होती है जब हम अपने आप को वह समझने लगते है जो हम नहीं है या कुछ अथक प्रयासोपरान्त हममे जो होने की संभावना है , वह . हमारे आप पास ऎसी कई चीजें है जो हमें इस  भ्रम में डालती हैं .
 ईश्वर  द्वारा रचें गए कुछ बड़े षडयंत्रों में से यह एक है की गहन प्रेम और वास्तविक ज्ञान को मापने के लिए वैसे यंत्र नही हैं जैसे खम्भे की उचाई और गढ्ढे की गहरायी नापने के लिए हैं .  

3 comments:

  1. .....ईश्वर ने तो मापन के लिए कोई भी यंत्र नहीं बनाए....मापना तो हमी चाहते हैं...तूलना से हमी को लेना-देना है....तो हमी बनाते हैं, मापक...जहां-जहां बना लेते हैं....कोशिश तो विचारकों ने सुख-दुख को मापने की भी की ही है, जानते ही हो...!

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  2. क्यों नहीं, बिलकुल मापा जा सकता है।बस हर माप के पैमाने अलग है . जैसे लम्बाई को किलोग्राम में नहीं माप सकते है .मीटर से वजन नहीं माप सकते .भावनाएं दिल से निकली हुयी अनदेखी सी बेमिसाल चीज है .जिसे हम केवल महसूस कर सकते है .वैसे ही इसे केवल मन से ही मापा जा सकता है .और इसे भी केवल महसूस किया जा सकता है.

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