जब मैं नींद से जागा
मैंने अपनी देह को मिट्टी पाया
हाथ मिट्टी पैर मिट्टी पूरी देह मिट्टी
मैंने अपनी आत्मा खोजनी चाही
मुझे मिला
थोड़ी सी नम मिट्टी का एक ढेला
मैंने कहा मेरी भाषा कहा है
कुछ भुरभुरी मिट्टी के टुकड़ों ने कहा
यहाँ हैं
मैं चकित था
मैंने कहा
मुझे वापस करो मेरे स्वप्न
सूखी दूर तक बिखर सके
ऐसी मिट्टी के एक टुकड़े ने कहा
चलो मैं चलूँ तुम्हारे साथ !
मैंने कहा मुझे मेरी धरती वापस चाहिए
उन्होंने कहा
तुम्हीं धरती हो
सूरज की आँच से बचे हुए अंधेरों को
अपने कणों में रक्त की तरह फैलने दो !
जी यही मिटटी नसीब हो जाए तो लगता है की जन्म सफल हो गया.
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