Saturday, May 16, 2020

मिट्टी

जब मैं नींद से जागा 
मैंने अपनी देह को मिट्टी पाया 

हाथ मिट्टी पैर मिट्टी पूरी देह मिट्टी 

मैंने अपनी आत्मा खोजनी चाही 
मुझे मिला 
थोड़ी सी नम मिट्टी का एक ढेला 

मैंने कहा मेरी भाषा कहा है 
कुछ भुरभुरी मिट्टी के टुकड़ों ने कहा 
यहाँ हैं 

मैं चकित था 
मैंने कहा 
मुझे वापस करो मेरे स्वप्न 

सूखी दूर तक बिखर सके 
ऐसी मिट्टी के एक टुकड़े ने कहा 
चलो मैं चलूँ तुम्हारे साथ ! 

मैंने कहा मुझे मेरी धरती वापस चाहिए 
उन्होंने कहा 
तुम्हीं धरती हो 
सूरज की आँच से बचे हुए अंधेरों को 
अपने कणों में रक्त की तरह फैलने दो !

1 comment:

  1. जी यही मिटटी नसीब हो जाए तो लगता है की जन्म सफल हो गया.

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