बहुत गूढ़ बातें लिख रहे हो, बधाई!---गुलाबी कोंपलें
बड़ा गहरा लिख गये.
gahare bhavapoorn rachna .
प्रिय अभिषेक,कार्यवश २-३ दिनों तक कंप्यूटर से दूर रहा.अभी तुम्हारी तीनो ही पोस्ट पढा डायरी का एक पन्ना पढ़कर मैं लंका से अस्सी तक घूम आया.क्षणिकाएं बेहद सुंदर लगीं.और यह कविता सदा की ही तरह भावों की उत्कृष्टता दर्शाती है.सस्नेह
यह हुई न बात.
बहुत गूढ़ बातें लिख रहे हो, बधाई!
ReplyDelete---
गुलाबी कोंपलें
बड़ा गहरा लिख गये.
ReplyDeletegahare bhavapoorn rachna .
ReplyDeleteप्रिय अभिषेक,
ReplyDeleteकार्यवश २-३ दिनों तक कंप्यूटर से दूर रहा.
अभी तुम्हारी तीनो ही पोस्ट पढा
डायरी का एक पन्ना पढ़कर मैं लंका से अस्सी तक घूम आया.
क्षणिकाएं बेहद सुंदर लगीं.
और यह कविता सदा की ही तरह भावों की उत्कृष्टता दर्शाती है.
सस्नेह
यह हुई न बात.
ReplyDelete