चट्टानें बोलती हैं ।
(इसमें अर्थ न खोजें
यह कविता नहीं है । )
जो गढ़ी गयीं
मूर्ति बन गयीं
मन्दिर में सज गयीं
वे भी .
जो तोड़ी गयीं
कंकड़ बन गयीं
सड़कों पर बिछ गयीं
वे भी.
चट्टानें बोलती हैं ।
(इसमें अर्थ न खोजें
यह कविता नहीं है । )
जो गढ़ी गयीं
मन्दिर में सज गयी
वे पद्य में बोलती हैं
भक्त से बात करती हैं ।
जो तोड़ी गयीं
कंकड़ बन गयीं
वे गद्य व सूत्र में बोलती हैं
जियोलाजिस्ट से बात करती हैं ।
तो
चट्टानें ,
हालांकि बोलती हैं
लेकिन इसमें अर्थ न खोजें
यह कविता नहीं है !
(इसमें अर्थ न खोजें
यह कविता नहीं है । )
जो गढ़ी गयीं
मूर्ति बन गयीं
मन्दिर में सज गयीं
वे भी .
जो तोड़ी गयीं
कंकड़ बन गयीं
सड़कों पर बिछ गयीं
वे भी.
चट्टानें बोलती हैं ।
(इसमें अर्थ न खोजें
यह कविता नहीं है । )
जो गढ़ी गयीं
मन्दिर में सज गयी
वे पद्य में बोलती हैं
भक्त से बात करती हैं ।
जो तोड़ी गयीं
कंकड़ बन गयीं
वे गद्य व सूत्र में बोलती हैं
जियोलाजिस्ट से बात करती हैं ।
तो
चट्टानें ,
हालांकि बोलती हैं
लेकिन इसमें अर्थ न खोजें
एक निरर्थक सार्थक कविता :)
ReplyDeleteचट्टानों को बोलते हुए सुनना निरर्थक तो नहीं ही है.
ReplyDeleteजो गढ़ी गयीं
ReplyDeleteमन्दिर में सज गयी
वे पद्य में बोलती हैं
भक्त से बात करती हैं ।
जो तोड़ी गयीं
कंकड़ बन गयीं
वे गद्य व सूत्र में बोलती हैं
जियोलाजिस्ट से बात करती हैं
बहुत सटीक बात ...
बहुत ही नवीन और गहन विचारों से युक्त एक अति सुन्दर कविता !
ReplyDeleteHi Dear, the semantics of the poem is superb and syntactic level is your trade mark. The poem gave the impression of Aarjva in his relaxed cum tensed mind. I liked it,rather say the very cadence touched me..........But the title, i think so, is ambiguous and gives a false impression of the poem,I don't whether it's a deliberate attempt or a misconception or something which is challenging and i failed to decipher. Anyway, the reader response, my own, is that the poem is enriched with a fresh and pregnant thinking. Hope you will always be in continuous attempt of saying that your jottings should not be called a poem and i assure you that I've not tried to find out any meaning in your fine ( I dare to say poem)unifying metrical arrangement with intrinsic beauty (isme arth mat dundhna ye kavita nahi hai)but i can not stop myself enjoying it and comment. All The Best!
ReplyDeleteHi Dear, the semantics of the poem is superb and syntactic level is your trade mark. The poem gave the impression of Aarjva in his relaxed cum tensed mind. I liked it,rather say the very cadence touched me..........But the title, i think so, is ambiguous and gives a false impression of the poem,I don't know whether it's a deliberate attempt or a misconception or something which is challenging and i failed to decipher. Anyway, the reader response, my own, is that the poem is enriched with a fresh and pregnant thinking. Hope you will always be in continuous attempt of saying that your jottings should not be called a poem and i assure you that I've not tried to find out any meaning in your( I dare to say poem)unifying metrical arrangement with intrinsic beauty (isme arth mat dundhna ye kavita nahi hai)but i can not stop myself enjoying it and comment. All The Best!
ReplyDeleteKavita to shayad nahi h magar kavyatmak zarur h... sundar rachna...
ReplyDelete’यह कविता नहीं है’, आजकल कविताओं के लिए यह कहने का ’फैशन’ है ।
ReplyDeleteबहुरूप धरती कविता का असली रूप खोये तो आश्चर्य क्या ?
हाँ, यह कविता नहीं है ।
तो क्या...
इसमें अर्थ क्यों न हो !
कविता माने अर्थ ?, अर्थ माने कविता ?
और शेष ?
अनर्थ !
बहुत ही सुन्दर और प्यारी सी रचना... यह कविता नहीं है, शायद इसलिए ही इतनी बेहतरीन है..
ReplyDeleteवाह...
मेरे ब्लॉग में इस बार..
ताक कमसिन वारि ... यह भी कविता नहीं थी.
ReplyDeleteवाह वाह! बिना अर्थ खोजे वाह!
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