बहुत कम शब्दों में समेटा है
अरे! ये तो कमाल कर दिया।किसी ने ऐसे क्यों नहीं समझा? ब्रेविटी इस सोल ऑफ विट!
waah kya bat hai ....
वैसे कुंवारे ज्यादा समझते हैं..विवाह.को भी...जैसे अभिषेक ने समझी ये कितनी प्यारी, सहज पर विशिष्ट बात...
श्रीश भईया ने तो कुछ और ही समझ लिया .:) :).......मैंने तो इस तरह से सोचा भी नही था ....खैर.....अब क्या कर सकते है ........ "जाकी रही भावना जैसी ............ :) :) :)
बहुत कम शब्दों में समेटा है
ReplyDeleteअरे! ये तो कमाल कर दिया।
ReplyDeleteकिसी ने ऐसे क्यों नहीं समझा?
ब्रेविटी इस सोल ऑफ विट!
waah kya bat hai ....
ReplyDeleteवैसे कुंवारे ज्यादा समझते हैं..विवाह.को भी...जैसे अभिषेक ने समझी ये कितनी प्यारी, सहज पर विशिष्ट बात...
ReplyDeleteश्रीश भईया ने तो कुछ और ही समझ लिया .:) :).......मैंने तो इस तरह से सोचा भी नही था ....खैर.....अब क्या कर सकते है ........ "जाकी रही भावना जैसी ............ :) :) :)
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