भूख के लिए ज़िम्मेदार ठहरायी गई
रोटी !
जीवन की दुर्घटना के लिए
किया गया कटघरे में खड़ा
हवाओं को !
नदी ने जब अपनी बात कही
तो माना गया उसे बाढ़
कोयल ने मोर ने जब चींख चींख कर
त्रासदी की चेतावनी दी
उन्हें बताया गया सौन्दर्य के अप्रतिम गीत !
सागरों ने जब छोड़ दी थोड़ी सी ज़मीन सूरज के लिए
किसी ने कहा इसे अपनी विजय !
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