सुर्ख़
लाल
दहकते कोयले जैसा प्यार
तुम्हें करने की
हुलस कर अधूरी रह गयी
बलवती इच्छा .........! !
दहकते कोयले जैसा प्यार
तुम्हें करने की
हुलस कर अधूरी रह गयी
बलवती इच्छा .........! !
याद
आयीं अभी
काट
कर लटकाये गये
मांस के लोथ से टपकती
मांस के लोथ से टपकती
अदृश्य
दर्द की बूंदे !!!
भावात्मक.सराहनीय अभिव्यक्ति मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
ReplyDeleteओह!
ReplyDelete........कब पूरी होगी? :-)
ReplyDelete@Arvind Mishra .....jitni puri hoti h utni hi adhuri rah jati hai ! !!! ;)
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