Thursday, October 29, 2009

प्रभाव

तत्क्षण ही
खूब प्रभावित हो जाना
कोई बड़ी अच्छी बात नहीं है ।


तुम अत्यन्त प्रतिभाशाली
महान व विचारवान हो !
तो इससे मुझे
कॊई फर्क नहीं पड़ जाता !
तुम्हारा यश एक दिन
फैलेगा दुनिया के कोने कोने में
और लाघं कर काल की सीमा
सदैव जिन्दा रहोगे तुम
अपने विचारों में ,
तो इससे मुझे
कोई फर्क नहीं पड़ जाता ।

मैं तुम्हें
देखता हूं
सुनता हूं
गुनता हूं
और मानता भी हूं
लेकिन तुम्हारा सच
मेरा सच नहीं हो सकता ।

फुटकर प्रेरणायें
मन को कमजोर करती हैं ।
मुझे अपनी क्षुद्रता
स्वीकार है ।

4 comments:

  1. हकीकत जानकर ही उससे आगे नि‍कला जा सकता है बन्‍धु।

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  2. bahut sundar!!!

    sahee kahaa hai...ek ka sach doosare kaa bhee ho aavashyak nahee hai.

    (transliterate kaam nahee kar rahaa hai isliye roman me likhna pada)

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