Thursday, February 5, 2009

तरीके

बाहर के सारे लोग
मुझे अच्छा कहें और
मैं अपने को बुरा जानता रहूं ।
एक यह ।

बाहर के सारे लोग
मुझे बुरा कहें और
मैं अपने को अच्छा जानता रहूं ।
एक यह ।


बाहर भी सब अच्छा कहें
और
मैं भी अपने को अच्छा जानूं ।
एक यह ।


बाहर भी सब बुरा कहें ,
मैं भी
खुद को बुरा जानूं ।
एक यह ।

बस
और कुछ नहीं ।

हर कोई
कहीं न कहीं
इन्हीं के बीच है

या गुजर चुका है !


अपनी पहचान के बहुत से तरीके हैं ।
उनमें से एक यह भी ।
बस
और कुछ नहीं ।




4 comments:

  1. अधर ठीक नहीं, कुछ सोचें या मेरी बात मानकर ख़ुद को अच्छा मान लें!

    ReplyDelete
  2. सही है. नियमित लिखें, शुभकामनाऐं.

    ReplyDelete
  3. पहचानता हूँ इन शब्दों और भावों को.
    बहुत सुंदर कविता .

    ReplyDelete