Friday, December 26, 2008

शेष तुम्हारी इच्छा . . .


मैं
चाहता हूं तुम्हें
या नहीं,
कह नहीं सकता ।

मैं बस तुम्हारा ही हूं
या नहीं ,
कह नहीं सकता ।

तुम्हारे एक कहने पर
दे दूंगा जान
या नहीं
कह नहीं सकता ।

यदि चाहो तुम
कोई आश्वासन ,कोई वादा
तो कह सकता हूं बस यही
कि
जो भी रहूंगा ,
जैसा भी रहूंगा ,
जितना भी रहूंगा ,

रखूंगा सम्मुख तुम्हारे
स्वयं को पूरा पूरा
बिना किसी तह और सिलवट के !


शेष तुम्हारी इच्छा . . . .. . .!

11 comments:

  1. संवेदनशील,बहुत बढ़िया.

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  2. "रखूंगा सम्मुख तुम्हारे
    स्वयं को पूरा पूरा
    बिना किसी तह और सिलवट के !"

    गर आप यह करने लगे
    तो राह ही खुल जायेगी...

    प्यारी कविता .

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  3. बहुत साफ़ सुथरी और ईमानदार कविता और तुम्हारा लेखन भी बहुत अच्छा

    आर्जव भाई तुमहारा स्वागत है और इसी तरह लिखते रहो, मेरी शुभकामनाएं।

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  4. हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। अच्छा लिखे। खूब लिखे। हजारों शुभकामनांए।

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  5. बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  6. अत्यन्त सुंदर रचना
    आपका लिखने पढने की दुनिया में स्वागत है
    मेरे ब्लॉग पर पधारे स्नेहिल आमंत्रण है

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  7. वाह क्या खूब लिखा, सुंदर कविता

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  8. Ati sinder
    कलम से जोड्कर भाव अपने
    ये कौनसा समंदर बनाया है
    बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
    सुंदर रचना संसार बनाया है
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    http://zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    http://chitrasansar.blogspot.com

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  9. maza aa gaya bhai kya khoobsurat entry mari hai....

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  10. हाँ यहीं से तुम्हे पहचान मिली है...... मानता हूँ.

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