Thursday, October 23, 2008

स्नेह -परस

आओ !
नेह -तुलिका से विगत के स्मृति- चित्र बनाएं…..!
स्नेह-रंजित ,मधु-सिक्त ,मृदु भाव रंग ,
आर्द्र –करुण- नम्र- आलोक प्राण
ईषत –उन्मत्त ,अमूर्त आकृति में भर
किसी नेहा की
एक व्यग्र तरल मंद स्मित रच जांय……

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