Sunday, March 8, 2009

उल्लास


हर्ष के रंग
रंग गये सब
मन के गात!

छलका उल्‍लास!
बरसा उल्‍लास !

निश्चल वृक्षों संग
नेह प्‍लावित हृदय भी
हरितिमा की इस
उत्सव-वर्षा में
तर बतर भींग उठा!

3 comments:

  1. बहुत अच्‍छी लगी आपकी रचना...

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  2. सुन्दर रचना!!! होली के बहाने उल्लास तो बरसा.

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  3. बात होली की ही न कर रहे हो ! प्रताप जी की बात में भी दम है ।

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