Monday, June 20, 2016

भींगी घरती पहली बरखा!

भींगी धरती
पहली बरखा,
गीले पेड़ गीले पात
नीला अम्बर
हुआ बादली,
तपती पछुआ
हुयी सुरीली,

मस्त मेढ़कों की
टोली ने
धुन छेड़ी अलबेली ,
गाये चिड़िया
गाये तितली !
भींगी घरती

पत्तों के कोरों से
टप टप 
निथर रहा अमृतजल ,
अगहन झुलसी
पियरी माटी
पी पी पानी
                 हो रही है चन्दनी !
                 उठती सुवर्ण गन्ध
                से मदमाते
               हरे आम
                हो रहे हैं पीले,


भींगी घरती
पहली बरखा!
गढ़हे में
भर आया है
छिछला पानी ,

टेंटा-दल कर रहा
मनमानी,
चॊंच-चॊच
पंख पंख
वारिद मोती
उड़ते फर फर,
भींगी घरती
पहली बरखा!




(सभी चित्र वेब से साभार)

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