संस्थागत धर्म एक तवायफ़ है।
राजनीति के कोठे पर नाचा करती है।
रसूख की लार से गीली कर उसकी देह
सत्ता के ठेकेदार
करते हैं दानवी उपभोग।
आज से नहीं
बहुत पहले से।
राजनीति के कोठे पर नाचा करती है।
रसूख की लार से गीली कर उसकी देह
सत्ता के ठेकेदार
करते हैं दानवी उपभोग।
आज से नहीं
बहुत पहले से।
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