अथाह विस्तृत यात्राओं में
अपने अकेलेपन के साथ
अकेले होना ।
चलती गाड़ी की
खिड़की से
सूदूर शांत क्षितिज
तकना।
किसी खो चुके
ईश्वर की याद में
उदास होना।
यही सब करता हूं
कभी कभी मैं
अपने होने
अपने अस्तित्व की चहारदीवारी
पर बैठ
बाहर देखते हुए
चाय पीते हुए।
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