जब हम किसी को देखते है आंखों से तो हम देखते हैं उसके हाथ पैर नाक आंख घुटने गरदन
और इस बीच हम पूरी तरह भूल जाते हैं कि उसमें एक आत्मा भी रहती है
फुग्गे जैसी
भौतिक आँखों से भौतिक अंग ही दिख पाते हैं, यही सीमा है। :(
ज़बरदस्त प्रस्तुती!
भौतिक आँखों से भौतिक अंग ही दिख पाते हैं, यही सीमा है। :(
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