Monday, October 16, 2017

प्रेम-विवाह

आज
पूरी हुई हमारी
बरसों पुरानी
प्रेम कहानी
(१)
आज
तुम्हारे किसिम किसिम के
प्लाजो दुपट्टे कुर्ती फ्राक
अंट गये मेरी हैंगर अलमारियों पर
खो से गये  हैं मेरे दो चार
इधर उधर टंगे रहने वाले बेचारे कपड़े !
(२)
आज
तुम्हारे टूटे हुए बाल
बिखरे पड़े हैं यहां वहांइस फ्लैट में
नहीं कोई ऐसी जगह  जहां वे हैं नहीं
बहुत तेजी से झड़ रहे
केशकाला भी होता दिखे है बेअसर !
(३)
अब
पुराने बैचलर किचन में
जाने पर लगता है जाने कहां आ गए हैं
बदल गई शकल सब डब्बी डिब्बों की
उनकी संख्या में भी हुआ है भारी इजाफा
किसमें गरम मसाला किसमें  पीसी धनिया
मजाल कि अब मैं यह बोध पाऊं
रहस्य है चहुं दिस घनेरा !
(०)
यही तो प्रेम की परिणति सुखद है प्रिये
जब बह चली है झाग सी
वो पुरानी  झूठी नफासत
बाथरूम में मेरे  शर्ट धुलती
तुम कहां कम  किसी​ अप्सरा से

बच बचा कर जिस खूंखार मां से 
मिला करते थे हम  नेस्कफे में
मेरे सामने ही उसी मां से
गूथते गूथते आटा
तुम करती हो फोन पर
घंटा घंटा भर गल-चऊर !
यही तुम्हारे शब्द तो
हरसिंगार है 
झर रहे हैं 
अशोक की कलिंग विजय पर 
देवताओं के आशीर्वाद रूप ! 

1 comment:

  1. ऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुंचे !!

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