राम !
तुम घबराना नहीं,
तनिक भी डरना नहीं !
तुम्हारी नियति का फैसला
एकदम संवैधानिक होगा !
सब कुछ
साक्ष्य और धाराओं के
सटीक सहयोग से उपजेगा !
तब तक
राम !
तुम बैठ कर
थोड़ा आराम करो !
खाली समय में कुछ किताबें पढ़ो ,
बाल्मीकी रामायण ,
उपनिषद इत्यादि तो होगें नहीं पास तुम्हारे,
रामचरितमानस के ही
कुछ पन्ने पलटॊ ,
कुछ गुनगुनाओ
एकदम मत डरो !
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मोहम्मद !
तुम भी मेरी बात मानो ,
चिन्ता एकदम न करो !
असुरक्षित प्रशासनिक राजनैतिक संबन्धों से
जरूर मेरे इस देश की देह पर दिखने लगे हैं
एड्स के कुछ लक्षण
लेकिन तुम निश्चिन्त रहो
कोर्ट पर विश्वास रखो
क्योंकि
कोर्ट को नहीं बनानी है फिर से सरकार
और कोर्ट की अलमारी में सौभाग्यवश
नहीं रखा है कोई भी धर्मग्रन्थ !!!
तो तुम भी
रेहल की गर्द पोछो
और कुरान खॊलकर
कुछ पन्ने पलटो!
जरा देखो कि
सब अर्थ सब व्याख्याएं
ठीक ठाक हैं न !
जी हाँ सब ठीक ठाक है पर ठीक ठाक पर कतिपय लोग ठीक ठाक रहने देंगे तब न.
ReplyDeleteसुन्दर रचना है ... समसामयिक
hmmmmm.........achchhaa h.!
ReplyDeleteअच्छी समझाइश!
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