Sunday, October 23, 2022
पुराने शहर
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बड़े शहरों से बचकर हम लौट आते हैं पुराने छोटे शहरों में साल के कुछ दिन पुराने शहरों में तेज़ी से ब...
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Saturday, July 9, 2022
तब तक रुकोगे क्या तुम ?
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एक फूल खिलेगा हवा चलेगी मौसम ठंडा होगा ! तुम रहोगे क्या तब तक ? जब मैं लौटूँगा जब सब ठीक होगा सांझ सुन्दर होगी पक्षी लौटेंगे नीला ...
Saturday, January 22, 2022
हरियाणवी हास्य ग़ज़ल
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थोड़ी देर की ख़ामोशियाँ भी परेशान कर देती थी क्या हुआ कुछ हुआ क्या की फ्रिक हो जाती थी इश्क़ की शुरुआत के ये दिन भी क्या दिन थे , अच्छा! ...
Friday, January 21, 2022
हस्तक्षेप
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यह जगह किसी और की स्मृति में हैं इस जगह की स्मृति में कोई और है मैं अपने वर्तमान के साथ इन सब ...
Wednesday, January 19, 2022
माधवी
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थमनें दो नये नये परिचय की उन्मादी गरज बरस धुन्ध धुएं से छाये आवेगों की स्नेहिल बौछारों को ! तुम्हारे म...
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Sunday, January 16, 2022
दिसंबर व धूप
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दिसंबर के कमजोर अपराह्न में सूरज की स्मृतियों से छीजती धूप कमरे में तिरछे दाख़िल होती है शेल्फ़ पर र...
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