नये वाले मोबाइल के
भी
कान्टैक्ट में सेव
हैं
कुछ पुराने,
बन्द पड़े ,
आऊट आफ़ सर्विस,
आऊट आफ़ सर्विस,
नम्बर !
अपरिचित अन्धेरों और
असम्बद्ध सन्नाटॊं
से त्रस्त
किसी रात
टेबल पर बैठा ,
कलम खुट खुट करता,
लैम्प की रोशनी पढता
,
मन
दिनों बाद
न जाने कब
मोबाइल पर चला जाता
है
और
यह जानते हुये भी कि
इन नम्बरों पर अब फोन
नहीं जाता ,
मर चुके हैं ये नम्बर
,
डायल कर देता है उन्हें
!
स्क्रीन पर
चिन्ह उभर आता है
चिन्ह उभर आता है
“कालिंग”……..
और बिन्दुओं की एक
रेखा
जलती बुझती रहती है …
जलती बुझती रहती है …
@ Devendr ji ...this is "minimalism" in commentology :)
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