Tuesday, October 14, 2014
विचारधाराएँ
कर देती हैं पंगु
संवेदनाओं को
मेरे भीतर के आदमी को
मेरे कवि को ,
विचारधाराएँ
गठिया रोग हैं।
4 comments:
Gyan Dutt Pandey
November 18, 2014 at 5:33 PM
ओह! तभी मैं समझा कि मेरी गतिशीलता काहे कुन्द हो चली है!
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देवेन्द्र पाण्डेय
April 27, 2015 at 9:27 PM
हम्म।
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Arvind Mishra
April 28, 2015 at 2:24 AM
सही कहा!
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Arvind Mishra
April 28, 2015 at 2:24 AM
सही कहा!
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ओह! तभी मैं समझा कि मेरी गतिशीलता काहे कुन्द हो चली है!
ReplyDeleteहम्म।
ReplyDeleteसही कहा!
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