हमारी संस्कृति , हमारी
परंपराएं एक कटोरे जैसी हैं जिसमें हमारी संवेदना का द्रव कटोरे की भाषा में अपना आकार
धरता है ।
लघु आयतन द्रव के लिए
कटॊरा एक सम्बल है , एक रूप है , एक गति है किन्तु निरन्तर प्रगाढ़ व विस्तृत होते द्रव
आयतन के लिए यह एक बन्धन है
भावनाओं को कटोरे के आयतन में मत बांधिए बंधु
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