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Tuesday, March 12, 2013
दृश्य
सब ओर बादल हैं. बादलों में पहाड़ हैं . पहाड़ॊं में जंगल हैं . और जंगलों में बस जंगल.
घाटी में सफेद – नीली धुन्ध के बीच पहाड़ों का उपरी सिरा एक लाईन बनाता है।
ऐसा लगता है जैसे उस रस्सी पर पहाड़ टंगे हुये हैं और धुन्ध में सूख रहे हैं ।
1 comment:
Arvind Mishra
March 12, 2013 at 7:59 PM
लटके हुए पहाड़ -कोई अपने काव्य संकलन के इस शीर्षक को चुन न ले :-)
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लटके हुए पहाड़ -कोई अपने काव्य संकलन के इस शीर्षक को चुन न ले :-)
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