Saturday, February 16, 2013
मंगलेश डबराल को पढ़ते हुये
कवि हो जाने के बाद एक बार ठीक से
दुबारा कवि न हो पाना वापस
मुश्किल है बहुत ही
शायद असंभव भी !
शुक्र है मैं कवि नहीं हूं !
ईश्वर सभी कवियों की आत्मा को शान्ति दे
!
1 comment:
rajani kant
February 17, 2013 at 2:39 AM
आमीन
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आमीन
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