tag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.comments2023-10-30T02:56:05.141-07:00आर्जवअभिषेक आर्जवhttp://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comBlogger814125tag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-30697032801543488932022-10-23T20:41:56.988-07:002022-10-23T20:41:56.988-07:00विस्तृत टिप्पणी के लिए धन्यवाद, दोस्त । आपके सुझाव...विस्तृत टिप्पणी के लिए धन्यवाद, दोस्त । आपके सुझावों को अमल में लाया जाएगा ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-85960605493530762582022-10-23T19:07:13.032-07:002022-10-23T19:07:13.032-07:00भाव के स्तर पर कविता सुंदर बनी है, किंतु व्याकरण औ... भाव के स्तर पर कविता सुंदर बनी है, किंतु व्याकरण और शिल्प की दृष्टि से कविता पुन: विचार की मांग करती है, विराम चिन्हों के सही उपयोग से कविता और अधिक सुग्राह्य हो सकती थी. आखिरी पंक्ति में सड़के नहीं के बाद अर्धविराम का प्रयोग अभीष्ट प्रतीत पड़ता है. दहलीज पर रुक ही जाता है जिनके नया समय यहां "नया समय" से बेहतर होता यदि हम सिर्फ "समय" का प्रयोग करते. बाकी भाव सौंदर्य की दृष्टि से कविता उत्तम बन पड़ी है, खैर इसके तो आप माहिर खिलाड़ी हैं. आपकी पुरानी कई कविताओं को देखकर यह कहा जा सकता है कि कवि नॉस्टैल्जिक होकर भावुकता के अतिरेक से कविता को रंगने में सफल रहा है. दिल्ली में रहते हुए कवि बनारस, पुराने बनारस को रच रहा है, तो कवि बधाई का पात्र तो है ही, इसमें कोई दो राय नहीं!<br /> बाहर हाल इस सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिए. PRABHAT JHAhttps://www.blogger.com/profile/02262172768587937106noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-90017772321430696192022-10-23T15:46:35.458-07:002022-10-23T15:46:35.458-07:00बहुत ही सुंदर। आख़िरी के दो वाक्य ख़ास तौर से । पढ...बहुत ही सुंदर। आख़िरी के दो वाक्य ख़ास तौर से । पढ़कर ऐसा लगा मानो शहर भी जीवित वस्तु है , भावनाओं से भरा ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-16568167231489169252022-07-04T10:18:44.782-07:002022-07-04T10:18:44.782-07:00You are a commendable writer and it's lovely h...You are a commendable writer and it's lovely how you experience love. :) Anjalinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-1549698351736948472021-01-05T22:25:08.535-08:002021-01-05T22:25:08.535-08:00अन्य कविताओं के अनुवाद के बारे में जानकारी नहीं । ...अन्य कविताओं के अनुवाद के बारे में जानकारी नहीं । मैंने अंग्रेज़ी संकलन से पढ़ा था । खुद ही ये कुछ कविताएँ अपनी रुचि के अनुसार अनुवाद कर ली ! :) अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-27711494024225916602020-06-25T22:37:54.927-07:002020-06-25T22:37:54.927-07:00बेहद बेहद अलहदा कविताएँ पहली बार चार्ल्स बादलेयर क...बेहद बेहद अलहदा कविताएँ पहली बार चार्ल्स बादलेयर को पढा इनकी अन्य अनुदित कविताओं के लिंक शेयर करें प्लीज Pratibha sharmahttps://www.blogger.com/profile/06516174187910268489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-9403644358553606732020-05-17T12:51:57.195-07:002020-05-17T12:51:57.195-07:00जब शब्दों में विश्वास है तो डरना क्या।जब शब्दों में विश्वास है तो डरना क्या।ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-56219631591280858762020-05-17T12:49:59.731-07:002020-05-17T12:49:59.731-07:00 जी यही मिटटी नसीब हो जाए तो लगता है की जन्म सफल ... जी यही मिटटी नसीब हो जाए तो लगता है की जन्म सफल हो गया.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-49296036844911511702020-05-11T03:08:57.191-07:002020-05-11T03:08:57.191-07:00वाह!वाह!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-83757250804764571292020-05-09T13:00:22.216-07:002020-05-09T13:00:22.216-07:00बहुत ही सुंदर भईया ।
- तुलिकाबहुत ही सुंदर भईया ।<br /> - तुलिकाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-67812801126107639442020-05-02T19:16:05.406-07:002020-05-02T19:16:05.406-07:00अदभुदअदभुदvikas agarwalhttps://www.blogger.com/profile/10531617414775625290noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-73248750860196088982020-05-01T06:48:02.343-07:002020-05-01T06:48:02.343-07:00Beautiful. Beautiful. Dr Mohan Parasainhttps://www.blogger.com/profile/07900537485612227970noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-89165124194121039402020-04-10T05:51:38.461-07:002020-04-10T05:51:38.461-07:00धनबाद :) धनबाद :) अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-70841454591219415562020-04-09T23:19:44.496-07:002020-04-09T23:19:44.496-07:00कंसपीरेसी कंस से भी ज्यादा खतरनाक है। यह तो इस तरह...कंसपीरेसी कंस से भी ज्यादा खतरनाक है। यह तो इस तरह अपना काम कर जाता है कि बहुतों को ताउम्र पता नही चल पाता कि वे इसका शिकार भी हुए हैं। इसके गंभीर पररिणामों से रूबरू कराता सुविचारित लेख। आज भ्रामक सूचनाओं की आधिकता के तीव्र विस्तार वाले दौर में जरुरी आलेख👍लालगंज की डायरीhttps://www.blogger.com/profile/09964337357432752592noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-6905005327475304632020-04-02T04:27:52.985-07:002020-04-02T04:27:52.985-07:00https://newsupdet2day.blogspot.com/2020/04/coronav...https://newsupdet2day.blogspot.com/2020/04/coronavirus-donation-list-of-celebrities.html?m=1Todystrendshttps://www.blogger.com/profile/12067168497519196189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-56727924600222725082020-04-01T08:11:28.898-07:002020-04-01T08:11:28.898-07:00अरे नहीं
सही गलत नहीं साथी
बस अपनी बकैती।अरे नहीं<br />सही गलत नहीं साथी<br />बस अपनी बकैती।PRABHAT JHAhttps://www.blogger.com/profile/02262172768587937106noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-68139179776612630242020-04-01T08:07:54.674-07:002020-04-01T08:07:54.674-07:00पहला पैराग्राफ साहित्य है, उसके बाद निरा अखबारी रि...पहला पैराग्राफ साहित्य है, उसके बाद निरा अखबारी रिपोर्ट की तरह लग रहा है।हालांकि इसे साहित्यिक रिपोर्ताज़ की तरह प्रस्तुत करने की अनेक सम्भावनाएं है।PRABHAT JHAhttps://www.blogger.com/profile/02262172768587937106noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-71537951915391214772020-04-01T05:19:34.881-07:002020-04-01T05:19:34.881-07:00हां, बिलकुल सही कह रहीं थीं ! हां, बिलकुल सही कह रहीं थीं ! अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-71231447508905681212020-04-01T04:12:49.538-07:002020-04-01T04:12:49.538-07:00विश्लेषण तो अब शुरु हुआ है. लकडाउन के संदर्भ में भ...विश्लेषण तो अब शुरु हुआ है. लकडाउन के संदर्भ में भारतीय लड़कियों का जिक्र यथार्थ है। सीमा एक दिन कह रही थी कि मुझे तो कुछ अन्तर पता ही नही लग रहालालगंज की डायरीhttps://www.blogger.com/profile/09964337357432752592noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-49627679394435760502020-04-01T04:00:17.626-07:002020-04-01T04:00:17.626-07:00धन्यवाद ! धन्यवाद ! अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-79296516439589858322020-04-01T03:59:56.283-07:002020-04-01T03:59:56.283-07:00प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया. आपको इसीलिए जबरदस्ती ब...प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया. आपको इसीलिए जबरदस्ती बुलाया कि आप चेक करते रहें और सही गलत बताते रहें. यह सबसे जरूरी प्रक्रिया है. <br />अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-66335697532167093972020-04-01T00:45:03.957-07:002020-04-01T00:45:03.957-07:00आँखोदेखी कहता हुआ एक बेहतर गद्य। पूरी कसावट में कु...आँखोदेखी कहता हुआ एक बेहतर गद्य। पूरी कसावट में कुछ कमी लग रही है खासकर दूसरे और तीसरे अन्विति के मध्य- कुछ छूटा छूटा से लग रहा है। "यह महामारी औरतों के कारण आई है" - पितृसत्ता कितने गहरे बैठा हुआ है, हम सब में- आम से खास तक सबके भीतर, जिस वाक्य को कहते और सुनते ग्लानि और अपराधबोध होना चाहिये वह सब कितना सहज सुगम तरीके से कहा और सुना जा रहा है। हम बहुत कुछ बदले हैं पर कितना कुछ नहीं बदले हैं.. यह बता रहा है गद्य! सब्जी वाले की बात को उसी के शब्दों में लिखा जाता तो और बेहतर व स्वाभाविक लगता।<br />बेहतर लिख रहे हैं आप <br />क्रम जारी रहे<br />लोकडाउन समाप्त होने तक पूरा गद्य सामने हो<br />इस उम्मीद के साथPRABHAT JHAhttps://www.blogger.com/profile/02262172768587937106noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-55246636057749330992020-03-31T09:19:02.257-07:002020-03-31T09:19:02.257-07:00यथार्थ... और इस यथार्थ में बहुत सारी बातें अपनी गं...यथार्थ... और इस यथार्थ में बहुत सारी बातें अपनी गंभीरता के साथ संकेतिकत है-महामारी के डर से खाली पड़ी सड़कें, कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग, धर्म की स्वयंभू व्याख्या... बहुत कुछलालगंज की डायरीhttps://www.blogger.com/profile/09964337357432752592noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-59803147488099303502019-10-25T04:53:53.277-07:002019-10-25T04:53:53.277-07:00बढ़िया कहानी. अच्छे ब्लोग्स हैं आपके. बढ़िया कहानी. अच्छे ब्लोग्स हैं आपके. shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167296967343196015.post-2572309336777636602019-10-22T12:32:31.235-07:002019-10-22T12:32:31.235-07:00पुराने दिनों की तरह सबसे पहले और सबसे विस्तृत टिप्...पुराने दिनों की तरह सबसे पहले और सबसे विस्तृत टिप्पणी के लिए धन्यवाद! ब्लाग पर अब कहाँ कोई आता है , आप आए, अच्छा लगा ।<br />—————————- <br />विषय पर आते हैं। मैंने जो लिखा है वह सब अभी मैं खुद सोच-समझ-जान रहा हूँ , अनुभव कर रहा हूँ। किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाया हूँ। उसमें समय लगेगा । इसलिए क्या करना है, यह नहीं पता। <br /><br />समस्या ये है कि मैं देख रहा हूँ कि आध्यात्मिक विकास के लिए जो नियम क़ायदे प्रक्रियाएँ आवश्यक हैं उन्हें सामाजिक जीवन में एक समुदाय के तौर पर अपनी व्यवस्थाओं का हिस्सा बनाने के कारण हम समाज-जीवन के हर अंग में पिछड़े हुए हैं । साहित्य हो, ज्ञान विज्ञान हो, भू-विज्ञान से लेकर अन्तरिक्ष विज्ञान तकनीक तक हो, सबमें हम पिछलग्गू हैं। ऐसा नहीं कि बिल्कुल ग़ायब हैं, लेकिन श्रेष्ठ नहीं हैं। (जो कि होना ही चाहिए था । )<br />इतिहास में, विगत हज़ार सालों में जो आया, हमारे समाज को घुटनों पर लाकर हम पर शासन किया। कारण चाहे भले ही बहुत सारे, ओपेन-इण्डेड, तात्कालिक, सामाजिक या जो भी रहें हों, यथार्थ यहीं है जिसे हम लीप पोत तो सकते हैं लेकिन बदल नहीं सकते। <br />इस संदर्भ में मुझे लगता है कि इन चीजों के होने का एक मुख्य कारण आध्यात्मिक जीवन के अनुभवों को धर्म के अतिरंजित कर्मकाण्डी स्वरूप में सामान्य सामाजिक जीवन पर थोप देना है । इस पक्ष की कटु आलोचना करना मैं सही समझता हूँ । <br /><br />अब दूसरा पक्ष।<br />ऊपर जिस विचार-पंक्ति पर मैं सोच रहा हूँ उसके आधार पर एक सरल निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है । वे निष्कर्ष वही हैं जो एक ठीक ठाक वामपंथी विचारक ( पुरुषोत्तम अग्रवाल के लेवल के,लोकल वाले नहीं :) के होते हैं । जैसे परंपरा में जो कुछ है सब बेकार है । वेद , उपनिषद सब शोषण के मैन्युअल है । उनकी बहुत सी बातों से सहमत होते हुए भी मैं ऐसा नहीं कर पा रहा । <br /><br />ऐसा नहीं कर पा रहा , इसका कारण यह है कि अपने धर्म , आर्ष ग्रन्थों, कुछ सन्तों से जुड़े हुए मेरे व्यक्तिगत अनुभव/बोध, ध्यान के अनुभव बताते हैं कि उन परंपराओं, प्रतीकों, रिचुअल्स में कुछ ऐसा है जो आपको परा-लौकिक ज्ञान मार्ग पर ले जाने कि क्षमता रखता है, अगर व्यक्तिगत निष्ठा , आकांक्षा , अभ्यास हो। <br /><br />अब यहीं समस्या आ रही है । एक उदाहरण देता हूँ । मांस भक्षण । आधुनिक मूल्यों के आधार पर हर किसी को अपनी खाद्य प्राथमिकताएँ तय करने का हक़ है । जानवरों को प्रति हिंसा नहीं होना चाहिए लेकिन अगर कोई मांस खा रहा है तो उसे अच्छे या बुरे में विभाजित करना अनावश्यक रूढ़िवादिता है । विज्ञान भी यह कहता है कि सामान्य मांस भक्षण स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। मान लिया। <br /><br />लेकिन । लेकिन । लेकिन। महर्षि रमण , भगवान अरविन्द, श्री रजनीश, जिद्दू कृष्ण, बाबा करोली, या ऐसे तमाम सन्त विचारक हैं जिन्होंने एक स्वर में मांस भक्षण को आध्यात्मिक प्रगति के लिए बाधक बताया है । मेरा स्वयं का अनुभव है कि मांस से शरीर में भूमि तत्व बढ़ जाता हैं जिससे चेतना शिथिल हो जाती है और “स्टोनिंग” ( ध्यान में एक खतरनाक अनुभव) जैसी चीजों से गुजरना पड़ता है। <br /><br />अब ऐसे में क्या हो ? <br />पूरे विश्व ने , खासकर पश्चिम ने बहुत कुछ किया, लेकिन कुछ एक उदाहरणों को छोड़कर, एक भी सिध्द सन्त कहीं और नहीं हुआ। सब भारत में हुए । <br /><br />तो मांस भक्षण को मैं क्या मानूँ? व्यक्तिगत तौर मैं इसके ख़िलाफ़ हूँ । सामाजिक जीवन में मैं इसके ख़िलाफ़ नहीं हूँ । <br />यह बस एक उदाहरण है । कई ऐसे अन्य मुद्द है।अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.com