Friday, September 11, 2015

नागालैण्ड की लोककथायें: एक लड़की की कथा जिसे सर्प दंश से मरना था !




एक बार की बात है एक परिवार रहता था जिसमें सिर्फ दो ही बच्चे थे. उन दिनों एक बार घर का मुखिया माथा लेने ( नर-मुण्ड शिकार अभियान पर) गया क्योंकि वह एक योध्दा था. वह और उसके साथी अपने पीछे अपनी पत्नियों और बच्चों को घर पर छोड़ , बहुत दूर के गांवों में शत्रुओं का शिकार करने चले गये. 

यह सुनने में आता है कि उस व्यक्ति की पत्नी को जल्द ही बच्चा होने वाला था. बहुत बहादुरी व सफलतापूर्वक युध्द करने के बाद परिवार का मुखिया युध्द में मारे गये शत्रुओं का सिर पुरस्कार स्वरूप लिए हुये वापस आ रहा था. रास्ता बहुत लम्बा होने के कारण वे जंगल के रास्ते में किसी स्थान पर “संगपित संग” नामक विशाल व घने वृक्ष के नीचे रुके ताकि रात बिता सकें.  

Ang (Chief) of Village in Costume with Gun, Ceremonial Dao (Machete), and Carrying Bag Near Carved Facade of his Longhouse 1954Konyak (Copyright Protected)
वहां वे उसी पेड़ की छाया में सोये. उन्होंने अपने शत्रुओं के सिर अपने घास के पतले बिछावन से पास रख दिया. ऐसा कहा जाता है कि उस रात उस योध्दा ने एक सपना देखा. सपने में भी वही बड़ा सा पॆड़ ,वही छाया थी. उसने देखा बड़े ही विचित्र और विकृत रूप वाले दो मनुष्य जो कि ऐसा विश्वास किया जाता है कि प्रेत थे , कहीं जा रहे थे. वे प्रेत योध्दा को देख थोड़ी देर रुके एवं बताया कि सुदूर गांव में किसी स्त्री को बच्चा होने वाला है. वे वहीं जा रहे हैं. इतना कह कर वे चले गये.
स्वप्न देखने वाले योध्दा को लगा कि वह स्वप्न नहीं बल्कि सच्चाई देख रहा है. और वस्तुतः सच में यह एक अर्थपूर्ण आभास था. योध्दा उठ बैठा. वह सोचने लगा कि कहीं उसका यह आभास सुदूर गांव में स्थित उसकी पत्नी के होने वाले बच्चे से तो नहीं जुड़ा हुआ है?  उसकी इस सोच ने उसे अशान्त कर दिया. 

थोड़ी देर बाद वह पुनः सोया और फिर से सपना देखा जो कि पहले वाले सपने से जुड़ा हुआ था. इस सपने में भी वही दोनों प्रेत उसी विशाल पेड़ की छाया के नीचे आये जहां योध्दा सो रहा था. अतः योध्दा ने उन्हें सामने पाकर , जैसे कि वे सच में ही सामने खड़े हों, उनसे उस गर्भिणी औरत के होने वाले बच्चे के बारे में पूछा , जैसा कि वे पिछले स्वप्न में कह गये थे.
योध्दा के प्रश्नों का जवाब देते हुये प्रेतों ने बताया की उस औरत को एक लड़की पैदा हुयी है. उन्होंने और कहा कि उस लड़की की मौत सांप के काटने से होगी, ऐसा प्रेतों ने निर्धारित कर दिया है. इस स्वप्न के बाद योध्दा पुनः उठ बैठा. उसे पता चला यह भी एक स्वप्न ही था, निस्संदेह ही सच्चाई नहीं. फिर भी उसने तुरन्त ही सपनों के बारे में सोचना शुरु कर दिया. उसे लग रहा था कि दोनों सपने सुदूर गांव में उसकी पत्नी को होने वाले बच्चे से जुड़े हो सकते हैं. 

अशान्त व थका हुआ , घर का हाल चाल जानने के लिए चिन्तामग्न वह घर पहुंचा. जब उसने एक नन्ही लड़की को अपनी पत्नी के पास लेटे हुये देखा तब तथ्यों की पुष्टि करने के लिए पूछताछ की कि उसकी पत्नी को कब बच्चा हुआ ? और वह स्पष्ट हो गया कि जिस रात उसने स्वप्न देखा था उसी रात उसकी पत्नी को बच्चा हुआ था. 

तुरन्त ही उसने अपना सपना और उसकी संभावित व्याख्या अपनी पत्नी को बताया और कहा कि हो सकता है कि वह सपना परमपिता परमेश्वर द्वारा उनके बच्चे के भाग्य की भविष्यवाणी हो. उसी समय उसने अपनी पत्नी को चेतावनी भी दी वह लड़की को कहीं भी , गांव के बाहर न भेजे और घर पर ही रखे ताकि किसी जहरीले सांप को उस पर हमला करने का मौका न मिले और उसकी मृत्यु न हो.
इन परिस्थितियों में दोनों ने बचाव के हर उपाय करने  का निर्णय लिया जिससे उनकी बेटी संर्प-दंश से होने वाली मृत्यु के भयानक दुर्भाग्य से बच सके क्योकिं आओ नागा परम्पराओं के अनुसार संर्प-दंश से होने वाली मृत्यु एक शर्मनाक , लज्जास्पद मौत होती थी जिसे अपोडिया ( Apodea) कहते हैं, जैसा कि उन्होंने अपनी बेटी के लिए सपने में हुयी भविष्यवाणी में देखा था.

इसी प्रकार के माहौल में उनकी बेटी बड़ी हुयी व किशोर हो गयी. इसके बाद उसके माता पिता ने उसे बार बार चेतावनी दी  ताकि उसके जीवन में कोई अनिष्ट न हो. फिर भी उसके जीवन में वह समय आ गया जब उसे शादी करके अपने पति के साथ पति के गांव जाना था. 

खतरे का आभास करके पिता ने उसके पति को आदेश दिया कि वह लड़की को अपने कन्धे पर उठाकर दूसरे गांव ले जाय. लड़के ने पिता की बात मानकर वादा किया कि पूरे रास्ते वह लड़की को कहीं भी पैदल नहीं चलने देगा और अपने कन्धे पर ले जायेगा. इस वादे के साथ उन्होंने यात्रा शुरू की ताकि कम से कम रास्ते में उसे कोई सांप न काट सके व उसकी मृत्यु न हो. 

इस प्रकार उन्होंने आधे रास्ते की दूरी तय कर ली , तभी लड़की ने अपने पति से कुछ देर रुकने के लिए कहा ताकि वह मूत्र विसर्जन कर सके. वे वही रुक गये और लड़की थोड़ा आगे झाड़ी की तरफ बढ़ी. तभी उसका पैर एक मरे हुये सांप हुये छोटे सांप के मुंह के ऊपर से रगड़ गया जो उसकी नजरों से ओझल पड़ा हुआ था. तत्क्षण ही सांप के दांत लड़की के पैरॊं में धस गये और नसों में जहर पहुंच जाने के कारण भयानक दर्द शुरु हुआ. वहां से उसे जल्दी जल्दी गांव ले जाया गया. गांव पहुंचते पहुंचते उसके प्राण पखेरू उड़ गये. 

यह हमें बताता है कि ईश्वर ने जो नियति निर्धारित की है वह घटित होनी ही है, उसे कोई नहीं बदल सकता. क्योकिं सब कुछ उसी तरह होगा जैसा ऊपर वाले ने निर्धारित कर रखा है.